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संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू, SIR को लेकर गरमाया माहौल – कई बड़े विधेयक पेश होने की तैयारी

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नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया है। 19 दिसंबर तक चलने वाले इस 19 दिवसीय सत्र में कुल 15 बैठकें निर्धारित की गई हैं। सीमित समय और भारी विधायी एजेंडे के कारण सत्र के शुरू होते ही राजनीतिक तापमान तेजी से बढ़ गया है। सरकार जहां महत्वपूर्ण सुधारों से जुड़े कई विधेयक पेश करने को तैयार है, वहीं विपक्ष SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) को लेकर सरकार को घेरने की रणनीति बना चुका है।

पहले दिन ही तीन अहम बिल पेश– सत्र के पहले दिन सरकार द्वारा तीन प्रमुख विधेयक संसद में रखे जाने का कार्यक्रम है। इनमें नागरिक परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सुधार से जुड़ा Atomic Energy Bill, 2025, उच्च शिक्षा व्यवस्था को नए ढांचे देने वाला Higher Education Commission of India Bill, 2025, और तंबाकू, सिगरेट व पान-मसाले जैसे “सिन गुड्स” पर अतिरिक्त कराधान लगाने से जुड़ा Central Excise Amendment Bill शामिल है। सरकार का दावा है कि ये विधेयक विकास, पारदर्शिता और राजस्व वृद्धि की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होंगे।

एसआईआर पर टकराव तय- सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने साफ कर दिया कि SIR अभियान पर वह सरकार से विस्तृत स्पष्टीकरण की मांग करेगा। विपक्ष का आरोप है कि मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण में कई अनियमितताएँ हुई हैं, जिनका लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है। विपक्ष ने चेतावनी दी है कि यदि SIR पर चर्चा नहीं कराई गई तो वे सदन की कार्यवाही बाधित भी कर सकते हैं।

कई बड़े विधेयक कतार में– सत्र के दौरान सरकार कंपनी कानून, दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (IBC), बीमा सुधार, सिक्योरिटीज मार्केट कोड, नेशनल हाईवे संशोधन समेत कई अहम आर्थिक व प्रशासनिक सुधार पेश करेगी। साथ ही पूरक बजट और अतिरिक्त अनुदान मांगें भी सदन के सामने आएंगी।

कम समय, भारी एजेंडा – सत्र रहेगा गतिशील– 19 दिनों के दौरान 15 बैठकें होने के कारण यह सत्र पिछले वर्षों की तुलना में छोटा माना जा रहा है। ऐसे में सरकार के सामने विधेयकों को पास कराने की चुनौती होगी, जबकि विपक्ष SIR, राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए पूरी तरह तैयार दिखाई दे रहा है। इस कारण सत्र के ज्यादातर दिनों में तीखी बहस और हंगामे की संभावना व्यक्त की जा रही है।

जनता पर असर– इस सत्र में पेश होने वाले कई विधेयक सीधे जनता के जीवन, शिक्षा, कराधान, ऊर्जा व रोजगार पर प्रभाव डाल सकते हैं। खासकर सिन गुड्स पर नया सेस, उच्च शिक्षा ढांचे में बदलाव और निजी क्षेत्र की परमाणु ऊर्जा में भागीदारी जैसे मुद्दे आम नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।

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