नई दिल्ली, 26 नवम्बर। संविधान को अंगीकृत किए जाने की 76वीं वर्षगांठ पर आज संविधान दिवस के अवसर पर राजधानी दिल्ली स्थित संविधान सदन के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में राष्ट्रीय स्तर का मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस विशेष समारोह का विषय “हमारा संविधान – हमारा स्वाभिमान” रखा गया है, जिसके माध्यम से नागरिकों में संवैधानिक मूल्यों और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता और गर्व की भावना को मजबूत करने का संदेश दिया जाएगा।सेंट्रल हॉल में भव्य राष्ट्रीय समारोह- पुराने संसद भवन परिसर स्थित संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में सुबह 11 बजे से संविधान दिवस का मुख्य राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू होगा, जहां देश के शीर्ष संवैधानिक पदाधिकारी एक ही मंच से लोकतांत्रिक परंपराओं के प्रति प्रतिबद्धता दोहराएंगे। सेंट्रल हॉल वही ऐतिहासिक स्थल है जहां संविधान सभा ने गहन विचार-विमर्श के बाद 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान को अंगीकृत किया था, जिसे स्मरण करते हुए आज का समारोह आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रगान के बाद संविधान निर्माताओं और स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को नमन किया जाएगा, इसके पश्चात संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ होगा। इस पाठ में राष्ट्रपति के नेतृत्व में मंचासीन अतिथि और उपस्थित जनप्रतिनिधि समानता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुत्व के आदर्शों के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त करेंगे।

महामहिम राष्ट्रपति करेंगी अध्यक्षता- संविधान दिवस समारोह की अध्यक्षता राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु करेंगी, जो सभा को संबोधित करते हुए संविधान के मूल भाव, नागरिक अधिकारों और कर्तव्यों तथा लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती पर अपनी दृष्टि साझा करेंगी। राष्ट्रपति के संबोधन के बाद उपराष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ संवैधानिक पदाधिकारी भी सभा को संबोधित करेंगे तथा संविधान को जन-जन तक पहुंचाने के प्रयासों पर प्रकाश डालेंगे।
राष्ट्रपति के नेतृत्व में प्रस्तावना-पाठ के दौरान उपस्थित जनप्रतिनिधि भारत को संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाए रखने और सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता और समान अवसर सुनिश्चित करने की प्रतिज्ञा दोहराएंगे। इस मौके पर संविधान की भावना के अनुरूप नागरिक कर्तव्यों के निर्वहन, सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाने की अपील भी की जाएगी।

प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष सहित जनप्रतिनिधि होंगे शामिल– समारोह में राष्ट्रपति के साथ उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्य तथा दोनों सदनों के सांसद बड़ी संख्या में उपस्थित रहेंगे। सभी दलों के प्रमुख नेताओं और विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व कर रहे सांसदों की मौजूदगी के कारण यह कार्यक्रम संविधान के प्रति सर्वदलीय और सर्वसमावेशी सहमति का प्रतीक बनेगा। केंद्रीय मंत्रियों, वरिष्ठ नौकरशाहों, न्यायपालिका के प्रतिनिधियों और अन्य गणमान्य अतिथियों की भागीदारी से कार्यक्रम का स्वरूप राष्ट्रीय विमर्श जैसा होगा, जहां संवैधानिक संस्थाओं की भूमिका, सुशासन और नागरिक सशक्तीकरण पर बल दिया जाएगा। विभिन्न मंत्रालयों और संगठनों के प्रतिनिधि भी सेंट्रल हॉल में मौजूद रहकर इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनेंगे।

नौ भाषाओं में संविधान का डिजिटल लोकार्पण– कार्यक्रम के महत्वपूर्ण आकर्षणों में से एक भारतीय संविधान के नौ भारतीय भाषाओं में तैयार डिजिटल संस्करण का लोकार्पण होगा, जिसे कानून मंत्रालय के विधायी विभाग ने तैयार कराया है। संविधान को मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगु, उड़िया और असमिया भाषाओं में प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि विविध भाषाई समुदायों तक मूल पाठ की भावना आसानी से पहुंच सके। इसके साथ ही मूल संविधान की सुलेखित प्रति पर आधारित एक स्मारक पुस्तिका भी जारी की जाएगी, जो संविधान के ऐतिहासिक दस्तावेजी स्वरूप और उसकी कलात्मक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। समारोह में इन पहलों को “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की अवधारणा के अंतर्गत भाषाई विविधता और संवैधानिक एकता के प्रतीक के रूप में रेखांकित किया जाएगा।
देशभर में समानांतर कार्यक्रम और विशेष गतिविधियां– राष्ट्रीय समारोह के साथ-साथ सभी केंद्रीय मंत्रालयों, उनके अधीनस्थ कार्यालयों, राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों और स्थानीय निकायों में भी संविधान दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। कई स्थानों पर प्रस्तावना-पाठ, विशेष सभा, शपथ ग्रहण कार्यक्रम, विचार गोष्ठियां, परिचर्चा, वाद-विवाद, निबंध और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं रखी गई हैं, जिनका उद्देश्य युवाओं और विद्यार्थियों में संवैधानिक मूल्यों के प्रति समझ बढ़ाना है। राष्ट्रीय स्तर पर “हमारा संविधान – हमारा स्वाभिमान” विषय पर ऑनलाइन क्विज, ब्लॉग और लेखन प्रतियोगिताएं, प्रदर्शनी, लघु फिल्में, पोस्टर और पेंटिंग प्रतियोगिताएं तथा पंचायत से लेकर संसद स्तर तक गतिविधियां प्रस्तावित की गई हैं। गांवों और कस्बों की पंचायतों के माध्यम से भी संविधान दिवस मनाया जा रहा है, जिससे लोकतंत्र की बुनियादी इकाइयों तक संविधान की भावना पहुंचाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

पृष्ठभूमि: 26 नवम्बर की ऐतिहासिक विरासत– भारतीय संविधान को बनाने में संविधान सभा ने लगभग 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लिया और 26 नवम्बर 1949 को इसे औपचारिक रूप से अंगीकृत किया गया। इसके कुछ प्रावधान तत्काल प्रभाव से लागू हुए, जबकि शेष प्रावधान 26 जनवरी 1950 से लागू किए गए, जब भारत औपचारिक रूप से एक गणराज्य बना। वर्ष 2015 में डॉ. भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती वर्ष के अवसर पर केंद्र सरकार ने 26 नवम्बर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया, ताकि नागरिकों में संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता को संस्थागत रूप दिया जा सके। तब से हर वर्ष इस दिन को संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने, लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने और “जन–जन का संविधान” की अवधारणा को आगे बढ़ाने के अवसर के रूप में देखा जा रहा है।











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